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Jaigurudev

 


एक वक्त आ रहा है जब आप महात्माओं को पुकारेंगे। जब कभी मुसीबत आए सुबह-शाम या रात को और आपकी मदद कोइ भी आदमी न करे या देवी-देवता जिसकी तुम पूजा करते हो वो भी मदद न करें, तुम्हारी रक्षा न करें तो आप ऐसे वक्त में इस साढ़े तीन हाथ के आदमी को याद कीजिएगा। यह साढ़े तीन हाथ का आदमी इसी शकल में मिलेगा और आपकी पूरी मदद करेगा।

 अगर तुम्हारी मृत्यु होने लगे और दुनियां का कोइ आदमी या सामान काम न आए तो आप इस आदमी को याद कीजिएगा तो मैं आपकी पूरी मदद करूँगा।

आप करके तो देखिए फिर विश्वास होगा। मेरा नाम जयगुरूदेव नहीं है। मेरा नाम तुलसीदास जो माता-पिता ने रखा। जयगुरूदेव नाम उस अनामी महाप्रभु का है जो सबका सिरजनहार है। इस नाम से सारे मण्डलों के मठाधीश, ईश्वर, ब्रह्रा, पारब्रह्रा आदि सब थर-थर कांपते रहते हैं। मैंने 1972 तक देश में बीस करोड़ लोगों का जन जागरण कर दिया है जो एक विचारधारा के सूत्र में बंध गए हैं। मैंने अब तक देश में बड़े-बड़े कार्यक्रम किए हैं जिनकी फिल्म बनी हैं।

 मेरा मुख्य काम है आपका शिवनेत्र यानी जीवात्मा की आँख खोलकर आपको जीते जी स्वर्ग-बैकुण्ठ, र्इश्वरधाम, ब्रह्राधाम आदि लोकों में पहुँचाना और उन सबका दर्शन-दीदार कराना। रूह, खुदा, रब, अल्लाह सबका दीदार करती है। इसका भेद,रास्ता जिसे नामदान कहते हैं महात्मा, फकीर बतायेंगे जो उन सबसे बराबर मिलते रहते हैं, इसके लिए आपको सदाचार का पालन करना जरूरी है। आपको मांस, मछली, अण्डा, शराब आदि नशीली चीजों को छोड़ना होगा। इन सबके सेवन करने से जीवात्मा नरको र्में, दोजख़ में भेज दी जाती है जहाँ उसे अरबों-खरबों वषो तक यमदूत, फरिश्ते मारते-काटते हैं, जलाते हैं और उनके चिल्लाने की आवाज लाखों-लाखों मील तब जाती है।

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