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Guru had mans ka putala nahi hote

 

#गुरूहाड़मांसकापुतलानहींहोते

मीराबाई उस परम प्रभू को प्राप्त पूर्ण संत हुईं। मीराबाई राजघराने की कुलवधू थीं जबकि उनके गुरु रैदास जी थे जो जूते सिलने का काम किया करते थे। वो रैदास जी के सत्संग में न जाने पाएं इस कारण मीराबाई को उनके ससुराल में बहुत परेशान किया जाता था। एक बार उन्हें ससुराल में तीव्र जहर दिया गया। रोज रात को मीराबाई के लिए एक गिलास दूध पीने के लिए आता था अतः तय किया गया कि दूध में मिलाकर जहर दे दिया जाए। मीराबाई की सेवा करने वाली दासी को षड़यंत्र की भनक लगी तो उसने मीराबाई को यह सूचना दी तब मीराबाई ने कहा कि अगर मेरे गुरु की यही मौज है तो यही सही। जहर मिला दूध का गिलास मीराबाई के हाथ में आया। 

वैसे तो रोज मीराबाई जो खाती पीतीं वो सब गुरू जी को अर्पण करतीं थीं लेकिन जब पता चल गया कि दूध में जहर है तो जहर कैसे गुरु को अर्पण कर दें अतः बिना गुरू जी को अर्पण किए ही वो सारा दूध पी गईं। दूध पीते ही वो अचेत हो गईं और सारी रात अचेत पड़ीं रहीं। सुबह के समय गुरू रैदास जी उनके सम्मुख प्रकट हुए और मीराबाई के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "मीरा! तूं सारा जहर अकेले ही पी गई? " मीराबाई ने कहा, "गुरू जी! मैं जानबूजकर आप को जहर कैसे अर्पण करती।" तब गुरू महाराज ने कहा, "मीरा! तूं यह सोचती है कि तेरा गुरू स्वार्थी हैं। तूं बढ़िया माल अर्पण करेगी तो ही खाएगा। जहर पिलाएगी तो नहीं पिएगा तो यह तेरी भूल है।अगर मैंने वह जहर नहीं पिया होता तो अब तक तो तूं मर चुकी होती।"

             विश्व विख्यात परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कितनी बार सत्संग में कहा कि पूरे गुरु कोई हाड़ मांस का पुतला भर नहीं होते। गुरू एक पद हैं, पॉवर है जैसे बिजली का तार..ऊपर तो रबड़ चढ़ी हुई होती है तो बिजली की ताकत का अहसास नहीं होता है लेकिन तार के ऊपर से रबड़ का खोल हटा दिया जाए तो विद्युत का पूरा अहसास होता है। ठीक उसी तरह पूरे संत होते हैं। दिखने में तो आम आदमी की तरह ही उठते, खाते, पीते,पहनते, चलते हैं लेकिन अंदर में उस सर्वशक्तिमान अनामी महाप्रभू की पूरी ताकत समाई रहती है। जब साधक गुरु की कृपा का सहारा ले अंदर के आध्यात्मिक मंडलों का सफर करता है तब उसे वहां पग पग पर गुरु के वास्तविक दम दम दमकते नूरानी स्वरूप का अहसास होता है और ऐसे ही साधक जब यहां गुरू की महिमा करना चाहते हैं तो उन्हें यहां शब्द नहीं मिलते तब वो इशारा करते हैं कि :-
   सतपुरूष की आरसी संतों ही की देह।
   लखना जो चाहो अलख को इन्हीं में लखि लेह।।


    #हुजूरबाबाजयगुरुदेव

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