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Mujhse na takrana re

 #मुझसेनाटकरानारे !!

उत्तर प्रदेश के कानपुर, हमीरपुर क्षेत्र के कई स्थानों में काफी समय मैंने दिया है और एकांत में रहकर भजन किया करता था। कुछ लोगों से मेरा मिलना हो जाया करता था। एक बार मैं हमीर जुलना पुर के एक वकील साहब के घर ठहरा हुआ था। सुबह का वक्त था। उनके एक दोस्त वकील उनसे मिलने के लिए आए। मैं भी बैठा हुआ था। कुछ देर तक वातें करने के बाद वकील साहब ने मुझे देखकर साधुओं के किस्से सुनाने शुरू किए साधुओं की निन्दा आलोचना उनका मुख्य विषय था। अनेक स्थानों में साधुओं से अपनी मुलाकातों का अनुभव और साधुओं के किस्से सुनाने शुरू किए। |अनेक स्थानों में साधुओं से अपनी मुलाकातों का अनुभव और साधुओं के बारे में अनेक अच्छी बुरी बातों का पिटारा उन्होंने खोल दिया। मैं उनकी बातों को सुनता रहा और हंसता रहा।

जब काफी देर हो गई और मैंने उनकी बातों पर अपना कोई विचार व्यक्त नहीं किया तो गम्भीर होकर उन्होंने मुझसे पूछा कि इतनी देर से मैं साधू महात्माओं के बारे में बहुत कुछ कह रहा हूँ किन्तु आप को मेरी किसी बात पर क्रोध नहीं आया। क्या आप मुझे इसका राज बता सकते हैं ?

मैं उनकी बातों को सुनकर टालता रहा किन्तु उन वकील साहब के अनुरोध पर मैंने उनसे कहा कि 'आप की बातों को सुनकर मैं हंसता रहा और यही सोचता रहा कि जिस व्यक्ति को घर में उसकी देवी जी चप्पलों, से मारती हों वह आंदमी महात्माओं की इतनी आलोचना कैसे कर रहा है।
मेरी बात को सुनते ही वकील साहव का चेहरा एकदम उतर गया, आंखें नीची कर लीं। उसके बाद से वो मुझे फिर दिखाई नहीं दिए।

    #हुजूरबाबाजयगुरुदेव

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