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guru ke prakaar





गुरु के प्रकार:

पहला गुरू पिता और माता जो हैं रक्त बीज के दाता ।।
दूसर गुरू भई वह दाई गर्भवास की मैल छुड़ाई ।।

तीसर गुरू ने नाम निसारा गाँव देश को लोग पुकारा ।।
चौथे गुरू ने शिक्षा दीन्हा तब संसारी वस्तु चीन्हा ।।

पाँचवे गुरू ने दीक्षा दीन्हा राम कृष्ण का सुमिरन कीन्हा ।।
छठे गुरू ने सब भ्रम तोड़ा कार से नाता जोड़ा ।।

सातवाँ गुरू सतशब्द लखाया जहाँ का जीव तहाँ पहुँचाया ।।
शब्द कमावै सो गुरू पूरा उन चरनन की हो जा धूरा ।।

और पहचान करो मत कोई लक्ष अलक्ष देखो सोई ।।
गुरू कहैं करो तुम सोई मन के कहे करो मत कोई ।।

जयगुरुदेव

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