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asalee sugandh to hamaare andar hai




असली सुगन्ध तो हमारे अन्दर है

    हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।
सन्तजन फरमाते हैं कि 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।
     पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है। फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े, उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे अन्दर चमत्कार हो उठेगा।
       पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं, अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग फीके पड़ जाएंगे।
     फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी। तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा। फिर बाहर के सब संगीत तुम्हें शोरगुल  लगेंगे। जिस दिन भीतर के प्रकाश को देख लेंगे, उस दिन बाहर भी सब प्रकाशित हो जाएगा। फिर हर इन्सान अति सुंदर नजर आने लगेगा। फिर तुम अपने दिल की बात सतगुरू के साथ करोगे।
    इसके लिए हमें सुमिरन और ध्यान में अपने सतगुरू से जुड़ना होगा। सतगुरु से सच्चा प्रेम बढाना होगा।

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