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radhasvami dayal ki mauj




कमर सीधी ही रखनी चाहिए अगर कमर सीधी नहीं होगी या थोड़ी झुकी हो तो नींद आ सकती है। जिस कारण सुरत को ऊपर चढ़ने या सिटाव में वक्त लग सकता हैं।
      अगर आप ऐसे सीधे बैठ नहीं पाते या सकते आप कुर्सी पर  सहारा लेकर या किसी तरह का कमर जो सहारा दे वैसे भी बैठ सकते है पर ध्यान रखना की नींद ना आवे। क्योंकि नींद की अवस्था में ध्यान नीचे की तरह गिरने लगता है।
      जितना बन पाये बिना सहारे के रीढ़ की हड्डी एक दम सीधी रहे  जब आपका सिमरन पक जाऐगा तब शरीर की अवस्था का ध्यान नहीं रहता,अगर शरीर की और ही ध्यान रखेंगे तो हमारा ख्याल सिमरन के बजाय शरीर की अवस्था की और रहेगा। जबकि ध्यान हमें अपने गुरु का करना है,
      ध्यान करना हमारे बस का नहीं,ये आपने आप ही उसकी दया मेहर से आवेगा।हम केवल सुमिरन कर सकते है वो भी अपने ख्याल को इस दुनिया से निकाल कर केवल प्रेम और विरह के साथ, हमने केवल कोशिश करनी है बिना किसी कामना के भीतर कुछ देखने की लालसा नही  रखनी,सतगुरु जैसी हमारी भजन सुमिरन से लगन और पूरा वक्त देख कर मुनासिव समय पर जो हमारे लिऐ सही होगा जैसी हमारी हजम करने की ताकत होगी वैसी वैसी दया फरमावेंगे हम जीवों में इतनी ताकत भी नहीं कि हम बिना उसकी दया मेहर के सुमिरन कर सके,हमें तो केवल कोशिश करनी है बिना नागा किये उस मालिक के हुक्म के अनुसार। हमें हमेशा उस सच्चे मालिक राधास्वामी दयाल की मौज में रहना है।और भजन सुमिरन को सबसे जरूरी कार्य समझ कर सदैव याद रखना है।
          ।।राधास्वामी जी।।

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