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Ham jaise karm karate hain




हम जैसे कर्म करते हैं वैसे ही हमारी किस्मत बनती है मगर कर्मों का फल उस मालिक के हाथ में है बाबा जी के सत्संग फरमाया कि कर्मों के जाल से कोई नहीं बच सकता है हमें कर्मों का हिसाब किताब देना पड़ेगा
कहते हैं जिस सुई में धागा पिरो लिया गया, वह गिर भी जाए तो खोती नहीं और जिस सुई में धागा नहीं पिरोया है, वह अगर गिर जाए तो खो जाती है, यह ध्यान का धागा तुम्हारे प्राण की सुई में पीरोना ही है, इसे डालना ही है। यह ध्यान का सूत्र ही तुम्हें भटकने से बचायेगा। तुम गिर भी जाओगे, तो भी खोओगे नहीं; वापिस उठ आओगे।
धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली, और ही मिलेगी..!!
  जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है..!!
  धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है..!!
     "नाम" जैसी खुशी किसी भी चीज मेँ नहीँ है..!!

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