Ham jaise karm karate hain
हम जैसे कर्म
करते हैं वैसे
ही हमारी किस्मत
बनती है मगर
कर्मों का फल
उस मालिक के
हाथ में है
बाबा जी के
सत्संग फरमाया कि कर्मों
के जाल से
कोई नहीं बच
सकता है हमें
कर्मों का हिसाब
किताब देना पड़ेगा
कहते हैं जिस
सुई में धागा
पिरो लिया गया,
वह गिर भी
जाए तो खोती
नहीं और जिस
सुई में धागा
नहीं पिरोया है,
वह अगर गिर
जाए तो खो
जाती है, यह
ध्यान का धागा
तुम्हारे प्राण की सुई
में पीरोना ही
है, इसे डालना
ही है। यह
ध्यान का सूत्र
ही तुम्हें भटकने
से बचायेगा। तुम
गिर भी जाओगे,
तो भी खोओगे
नहीं; वापिस उठ
आओगे।
धन से आज
तक किसी को
खुशी नहीं मिली,
और न ही
मिलेगी..!!
जितना अधिक व्यक्ति
के पास धन
होता है, वह
उससे कहीं अधिक
चाहता है..!!
धन रिक्त
स्थान को भरने
के बजाय शून्यता
को पैदा करता
है..!!
"नाम" जैसी खुशी
किसी भी चीज
मेँ नहीँ है..!!
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