man ka pher
"मन का फेर"
एक बार एक
संत ध्यान पर
बैठे हुए थे
तभी एक आदमी
आया और कहने
लगा की मेरे
पास काम नहीं
हैं, कोई काम
नहीं मिल रहा
और पैसे के
बिना परेशान हैं...!!!
संत कहने लगे
क्या काम कर
लेता है...????
वो बोला कोई
भी जैसे बोझा
उठाना इत्यादि...
तो संत बोले
की चल तेरे
से कोई बोझा
नहीं उठवायेंगे..
यूं कर मेरे
साथ चार घंटे
बैठ जा, सिर्फ
बैठना है.... अगर
बैठ गया तो
200 Rs देंगे...
वो सोचा
की बैठने के
कोई पैसे देता
है..??? क्या
मजाक कर रहे
हैं...
तो संत
ने पहले ही
200 अपने पास बैठे
शिष्य को पकड़ा
दिए, की इसके
चार घंटे होते
ही इसे दे
देना...
वो झट
से बैठा, ज्यादा
से ज्यादा 20 मिनट
बैठा होगा, मोका
मिलते ही खिसक
लिया...!!!!!
अब बताओ
भाई, की ये
मन लालच पे
तो मरता है,
पर बैठना कोई
आसान काम नहीं...!!!
ये उठ
उठ कर भागता
है, और इस
रास्ते पैर साथ
नहीं देते...
कोई होगा
जो सिर्फ बैठने
के पैसे देगा
बताओ....
सो 'भजन-सुमिरन' पर बैठते
समय हमारा भी
यही हाल है....!!
मन बैठने
ही नहीं देता,
तरह-तरह के
विचार सामने लाकर
रख देता है....!!
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