dil ka hujara saaf kar janan ke
जय गुरूदेव नाम प्रभु
का
बाबाजी ने बहुत
ही प्यार से
सत्संग फ़रमाया। बाबा जी
ने संत तुलसी
साहिब जी की
बाणी "दिल का
हुजरा साफ़ कर
" पर सत्संग किया। उन्होंने
समझाया कि जब
शेख तकी जो
कि एक मुस्लमान
व्यक्ति थे, बापस
हज़ कर के
आ रहे थे,
तो रात उन्होंने
बाबा संत तुलसी
साहिब जी के
यहाँ शरण ली।
जिस पर तुलसी
जी उनको सच्चे
हज़ के बारे
में उनकी ही
भाषा उर्दू में
कुछ इस तरह
फ़रमाया कि -
दिल का हुजरा
साफ़ कर जानां
के आने के
लिए ।
ध्यान गैरो का
उठा उसके बिठाने
के लिए ॥
चश्म दिल से
देख यहाँ जो
जो तमाशे हो
रहे ।
दिलसितां क्या क्या
हैं तेरे दिल
सताने के लिए
॥
एक दिल लाखो
तमन्ना उसपे और
ज्यादा हविस ।
फिर ठिकाना हैं कहा
उसके टिकाने के
लिये ॥
नकली मंदिर मस्जिदों में
जाय साद अफ़सोस
हैं ।
कुदरती मस्जिद का साकिन
दुःख उठाने के
लिए ॥
कुदरती काबे की
तू महराब में
सुन गौर से
।
आ रही धुर
से सदा तेरे
बुलाने के लिए
॥
क्यों भटकता फिर रहा
तू ऐ तलाशे
यार में ।
रास्ता शाह रग
में हैं दिलवर
पै जाने के
लिए ॥
मुर्शिदे कामिल से मिल
सिदक और सबुरी
से तकी ।
जो तुझे देगा
फहम शाह रग
के पाने के
लिए ॥
गोते बातिन हो कुशादा
जो करे कुछ
दिल अमल ।
ला इलाह अल्लाहु
अकबर पे जाने
के लिए ॥
यह सदा तुलसी
की हैं आमिल
अमल कर ध्यान
दे ।
कुन कुरां में हैं
लिखा अल्लाहु अकबर
के लिए ॥
बाबाजी ने साफ़
साफ़ और सीधे
सीधे लफ्जो में
बयां किया कि
उस परमात्मा को
पाने के लिए
सबसे पहले हमें
अपने अंदर कि
गंदगी ( बुराई ) को साफ़
करना होगा। तभी
वो हमारे अंदर
रहने लायक हो
होगा। अगर हमारा
मन ही साफ़
नही हैं तो
चाहे हम कितने
ही हज़ क्यों
न कर ले
कितने ही तीर्थो
पर चले जाये
परमात्मा ही हस्ती
को हासिल नही
कर सकते हैं।
वो परमात्मा हम
सबके अंदर हैं।
वो सिर्फ अंदर
से ही हासिल
हो सकता हैं।
अगर आपका दिल-मन बिलकुल
साफ़ हैं तो
आप हर दिन
हर समय उस
परमात्मा के साथ
रहते हैं हर
दिन हज़ और
तीर्थ में होता
हैं।
अगर वो हैं
तो सब कुछ
वो नही तो
कुछ नही। और
परमात्मा के सच्चे
दर्शन तभी होंगे
जब हमारा मन
शीशे की तरह
बिलकुल साफ़ होगा।
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