Saakhee
एक बार बाबा
जी संगत में बैठे
हुए थे, और
बैठे बैठे एकदम
से हसने लगे, तो पास बैठे
सेवादार ने पूछा
कि बाबा जी
आप एकाएक क्यूँ
हँसे , तो बाबा
जी ने कहा
कि कोई बात
नहीं है, सेवादार
भी अच्छा सत्संगी
था .... बोला कि
बाबा जी कोई
तो बात है
जो आप हमें
बता नहीं रहे
, सेवादार ने ज़िद
की तो बाबा
जी ने बताया
कि एक सत्संगी
ने 15 साल पहले
उनसे नामदान लिया
था ,पर उसने
कभी भजन सिमरन
नहीं किया ....
पर आज उसकी
लड़ाई किसी बड़े
आदमी से हो
गयी है, और
वो सत्संगी उस
बड़े आदमी को
बोल के आ
गया है ..
कि तू जानता
नहीं मेरा बाप
कितना बड़ा है....
बस इसलिए मुझे हँसी
आ गयी ... कि
आज तक इसने
कभी मुझे याद
नहीं किया और
आज जब इसपे
मुसीबत आयी तो
इसे मेरी याद
आ गयी ....
तो सेवादार ने पूछा
कि बाबा जी
अब आप क्या
करोगे... तो बाबा
जी ने जो
कहा वो सुन
के आँखें भर
आयी उस सेवादार
की ..
बाबा जी ने
कहा के बाप
के बुलाने पे
बेटा चाहे आए
या ना आए,
पर बेटे ने
अगर बुलाया है
तो बाप को
तो जाना ही
पड़ेगा..... सो
साध संगत जी
ऐसे है हमारे
सतगुरु जी .
इतनी दया , इतनी
मेहर वो
संत सतगुरु हम
पर करते है,
बदले में उन्हें
कुछ नहीं चाहिए
हमसे... बस चाहिय
तो सिर्फ़ भजन
सिमरन .. और उसमें
भी सिर्फ़ हमारी
ही भलाई है...
Radha soami जी
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