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bhakti bhaav jaigurudeo




जयगुरूदेव
स्वामीजी ने कहा की
आप दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ भजन करेँगे तब भजन बनेगा।
संकल्प शक्ति द्दारा ही इस मार्ग मेँ सफलता हासिल की जा सकती है।दोनो आंखे के पीछे तीसरा  तिल है।तीसरे तिल मेँ पहुंचने से बुरी प्रवूत्तियोँ से नफरत हो जाती है और नाम के प्रति रुचि हो जाती है।नाम के संगीत मेँ वो मिठास है जिसको चख कर मन उसका रसिया हो जाता है ।सहसदल कंवल मेँ यानी ईश्वर के धाम मेँ पहुंचने पर बुरी प्रवृत्तियां एकदम खत्म हो जाती हैँ और उनके ऊपर पूरे तौर से विजय प्रप्त हो जाती है।यहां पहुंच जाने के बाद निचले केन्द्रोँ पर चलने वाली काम की ज्वाला सदा के लिए बुझ जाती है।
खान पान का असर भजन पर जरूर पड़ेगा। विचार के बाद ही किसी का अन्न ग्रहण करना चाहिए।यदि दृषित अन्न का सेवन किया है तो उस दिन भजन मेँ समय अधिक देँ।भजन ध्यान सुमिरन से ही कर्म उड़ाये जाते हैँ।कर्मो का विधान बडा जटिल है।जो ऊँचे साधक होते हैँ वही समझते हैँ।सत्संग बराबर मिलता रहेगा तब बातेँ समझ मेँ आएंगी। जयगुरुदेव
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जयगुरूदेव।
काल इतना चतुर ओर चालक है कि बिचारे जीव को बारबार गिराने की कोई कसर नही छोड़ता है , जब जीव भक्ति करने लगता है ,गुरु की दया से जीव को जब साधना में अनुभव होने लगते है, जीव जब धीरे धीरे जागृत होने लगता है, तब काल साधक को गिराने की बहुत से प्रबन्द करता है , काल की पूरी नजर साधक पर होती है उसकी पूरी कोशिश होती है कि साधक को कैसे भी हो पर गिर दिया जाय, यह से निकलना नही चाहिए ,
जब साधक पहले धन, दौलत, कामवासना, मोह, सुख खोजना, इसके पीछे भागता था ये सब चीज उससे दूर भागती है पर जब साधक साधना के दौरान, उसकी इच्छा संसार से कम होने लगती है और गुरु की प्रीत ज्यादा होने लगती है, ओर भजन बनने लगता है तब काल साधक को जान बूज कर संसारी की चीजें देता है , धन,दौलत,माया,स्त्री सुख, तब ये सब साधक के पीछे भागती साधक गिरने के लिए  साधक ने अगर इसको पकड़ा जरा सी भी गलती हुई कि फस गया और गीर जाता है इस लिए बहुत सोच समझ कर मन की निरख परख करते है समझना है
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भक्ति भाव, सावन नदी, चली बही गहराए।
सरिता सोई सराहिय, जो जेठ माह ठहराए।
सत्संभी भाई बहनों के लिए आत्ममंथन करने के लिए सटीक शब्दावली महापुरुषों ने चेतावनी के तहत कहीं।
भक्ति भाव सदा बनाए रखें और गुरु वचनों के पालन में तत्पर रहें।
जैसे नदी के जल को आवश्यकता सबसे ज्यादा जेठ महीने में होती और उसी समय सब नदियां सूख जाती है, जबकि जल सहित नहीं सबको जल प्रदान करती है।
भक्ति भाव भी जेठ माह की सरिता की तरह हो जो जल से परिपूर्ण हो क्योंकि भक्ति का परीक्षण समय जीवन का oh कठिन समय होता है जब कोई आशा की किरण कहीं से दिखाई नहीं पड़ती उस समय भक्ति भाव ही आपको उसके सबसे समीप रखता है।
भक्ति भाव सतत बनाए रखें ताकि संत मार्ग पर चलते हुए अपने असली उद्देश्य को पा सकें।

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