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santamat koree bakavas baji nahin




6/6/19
जयगुरूदेव
संतमत कोरी बकवासबाजी नहीं, यह आध्यात्मिक वसंत ऋतु का सुहावना मौसम,यह कहो कि खुशियों की बारात लेकर आता हो तो दिल दिमाग से निकाल दीजिए।दया की भीख का मिल जाना ही आपदाओं का तोहफा मानो,कर्मों को झाड़ने का अजीबो-गरीब मंसूबा हम पर आयद  होगा यानी चल पड़ेगा। इसकी सीख फकीरों की नेकनसीहतों से लो,आश्रमों को जो धर्म का अड्डा बनाया गया, रोटी नमक खाकर जिनकी बुनियाद डाली गई,उसको भौतिक सुख-सुविधाओं से लक-दक कर यवस्थाओं को मिटाकर,शांति सद्भाव कायम कर,ऐसो आराम की जिंदगी गुजारना बेमतलब की बात को तूल देंना,ऐसी सोच दिल दिमाग से निकाल दें। आश्चर्यजनक संकेत मज़हबी किताबों के पर्याप्त हैं,सबक  हासिल करें अन्यथा जोशे-जुनून, उमंग की तरंग में भारी गलतियां स्वाभाविक सहज खेल है। जिसका खामियाजा व्यक्ति से लेकर समाज तक को भुगतना पड़ता है।अभी तो इतना ही पर्याप्त है,निजि जिंदगी से लेकर आश्रमों की व्यवस्था तक को संतमत के अनुकूल बनाएं, विनम्रता में शोभा है,राष्ट्र के नियमों कानूनों का पालन करना धर्म है,इसी में अस्मिता यानी मान मर्यादा सुरक्षित है।हो कुछ नहीं,बनोगे महाराज तो नतीजा क्या होगा,मालिक के बन्दों के इतिहास  पर जरा ग़ौर करें,बेहतर इन्साफ से भरा जीवन गुजारें कैसी रहनी गहनी हो ऐसे कलमों पर गौर करें,ऊँगली उठाने से बेहतर स्वयं को नियमावली के तहत बाधें,पुनः इशारा करना ऊँची सोच नही अन्यथा सबकुछ अच्छा ही अच्छा नहीं होगा,कुदरत माफ़ नही करेगी दुनियां की नजर में ऊपर से गिरोगे,दान में प्राप्त की,पाई-पाई का हिसाब देना होगा,कब कहा और कैसे,होश दिला दिया जाए तो रो पड़ोगे अतएव दूर तक सोचो जो संकेत,सो कह दिया।
 जयगुरुदेव                          
पीरे हक़ का सन्नाम गुलाम मुरीद रफा-दफा                             
मथुरा(उत्तर प्रदेश)

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