rotiyon ke bhaar jitane heere
एक सेठ के
घर गरीबी आ
गयी तो उसकी
बीवी ने कहा
के पड़ोस के
गांव में व्योपारी
पुण्य खरीदते हैं,
अपने पुण्य बेच
कर धन ले
आयीये। सेठ चल
पड़ा और रास्ते
में रोटी खाने
लगा तो एक
कुतिया अपने 3 बच्चों के
साथ आ गयी
तो सेठ ने
रोटियां उनको खिला
दी और व्योपारी
के पास चला
गया, व्योपारी की
बीवी ने ध्यान
लगा कर देखा
के सेठ ने
कुतिया और पिल्लों
पर उपकार किया
है तो उसने
व्योपारी से सेठ
को आज का
पुण्य देने को
कहा। सेठ मान
गया और 4 रोटियों
के भार जितने
हीरे देने की
बात हुयी पर
रोटियों का पलड़ा
बहुत भारी था
और हीरे डालते
ही गए, सेठ
समझ गया के
यह पुण्य बहुत
बड़ा है और
देना नहीं चाहिए
सो वहाँ से
खाली हाथ चल
दिया। बीवी से
झगड़े से बचने
के कारण उसने
थैले में पथ्थर
रख लिए, जब
बीवी ने थैला
खोला तो उसमें
हीरे मिले, सेठ
ने सारी बात
अपनी बीवी को
बतायी तो वो
हैरान रह गयी।
संगत जी, अगर
हम परोपकार करते
हैं तो ईश्वर
भी हमें हर
नेहमत से नवाज्ता
है और हमारा
स्वार्थ एवं परमार्थ
दोनों संवार देता
है
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