swami ji ne kaha
स्वामी जी ने
कहा.....
मुझे काम करने
वाले लोग चाहिये केवल
बातें करने वाले
नही। परमार्थ में चलने
से पहले मनुष्य
को सत्यवादी होना
आवश्यक है। जहाँ किसी की
निंदा -आलोचना होती हो
वहाँ सत्संगी कभी
मत बैठे। जो लोग
दुनिया का काम
ठीक से नही
करते है वे
परमार्थ का काम
भी ठीक से
नही कर सकते
है। परमात्मा न अंधा
है और न
ही बहरा।
अंधे तो हम
हो गए है
कि इस मनुष्य
शरीर मे उस
परमात्मा को न
बुला सके। वह सेवक
नही है जो
किसी से विरोध
करे। सेवक को गुरु
के आज्ञा के
बगैर कोई ऐसा
काम नही करना
चाहिये जिसमे
संगत का नुकसान
हो और सत्य
रास्ते मे गन्दगी
पैदा हो।
सत्संगी अपना एक
मिनट भी बर्बाद
न करे।शरीर रक्षा
के कार्यो को
करने के बाद
जो समय बचे
साधन - भजन व
धर्म के प्रचार
कार्यो में लगाएं।
जब प्रेम उमड़ता है तो
पतंगे दीपक पर
जल जाते है।तुम
भी ऐसा जलो
की बाहर से
कोई समझ न
सके। महात्माओं की दया
उन्ही पर काम
करती है जो
दीन ओर नम्र
हो जाते है।
सोच समझकर जिसमे तुम्हारा
परमार्थी लाभ हो
वही काम करो।अपने
संसारी काम मे
उतना ही काम
करो जिससे तुम्हारे
परमार्थ का नुकसान
न हो। महात्माओं के
दरवार में खाक
छाननी होगी तब
तुम्हे कुछ मिलेगा।
तुम पैसे वाले
हो ओहदे वाले
हो तो यहां
क्यों प्रार्थना करते
हो।
जयगुरुदेव.
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