niyat saaph hai to najariya
नियत साफ है
तो नजरिया खुद
ब खुद बदल
जाता है,,,,दो
दोस्त एक आम
के बगीचे से
गुज़र रहे थे
की उन्होने देखा
के कुछ बच्चे
एक आम के
पेङ के नीचे
खङे हो कर
पत्थर फेक कर
आम तोङ रहे
है।ये देख कर
एक दोस्त बोला
के देखो कितना
बुरा दौर आगया
के पेङ भी
पत्थर खाए बिना
आम नही दे
रहा है...,,,तो
दुसरे दोस्त ने
कहा नही तु
गलत देख रहा
है...दौर तो
बहुत अच्छा है
की पत्थर खाने
के बावजुद भी
पेङ आम दे
रहा है,,,....दिल
मे खयालात अच्छे
हो तो सब
चीज अच्छी नज़र
आती है ....और
सोच बुरी हो
तो बुराई ही
बुराई नज़र आती
है...,
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कुछ दिनों
से मेरी आँखों
में दुखन थी
मैं ऑय स्पेशलिस्ट
के पास गया डॉक्टर
ने मुयायना करके
पूछा आप आखरी बार
कब रोये थे मैं
इस अजीब सवाल से
हैरान होगया याद नहीं..रोना कोई
अच्छी बात है?
डॉक्टर ने कहा
- जी हाँ रोना
अच्छी बात है,
जो लोग नहीं
रोते उनके दिल
सख्त होजाते हैं,
आँखे खराब होने
लगती है, मैं
ऑय ड्रॉप्स दे
रहा हूँ, लेकिन
कभी कभी रोने
की कोशिश किया
करें" मैंने पूछा "लेकिन
किस बहाने? डॉक्टर के मुंह
से निकला कभी इबादत
के दौरान अपने
गुनाहों को याद
कर लिया करें
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शायद हमारे मन में
यह ख्याल हो,
कि हम व्यर्थ
मालिक की भक्ति
में लगे हुए
हैं, और सतगुरु
हमें 'नाम' देकर
बेफिक्र हो चुके
हैं...!!!!!!
वे चौबीस
घंटे हमारे साथ
हैं, और हमेशा
हमें किसी न
किसी बहाने 'नाम'
की याद कराते
रहते हैं....!!!!
हमें ठोकरें
लगती हैं, और
मालिक की भक्ति
की तरफ हमारा
ध्यान लगाए रखते
हैं...!!
इस तरीके
से वे हमारी
हर तरह की
संभाल, परवरिश और रखवाली
करते हैं...!!!!!
- हुजूर स्वामीजी महाराज-
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