jaigurudev maharaj ke do vishesh aadesh
जयगुरुदेव गुरु महाराज
का दो विशेष
आदेश है ।
सन 1952 से 2012 तक एक
ही बात पर
सबसे ज्यादा जोर
दिया मालिक ने
।
जब हमे नामदान
मिला तब मालिक
ने कहा बच्चा
ये जो आपको
नामदान मिला है
ये धन दौलत,रुपए पैसे,सोना, चांदी से
नही मिलती ये तो
अमोलक बेशकीमती चीज
हम आपको दे
दिया, ये नामदान
प्रभु को पाने
का रास्ता है
इसे तुम अपने
मुकाम अपने घर
,वतन,सतलोक पहुच
जाओगे , बच्चा इस नामदान
को पाने के
लिए कितने भक्तोंने
रोया रात दिन
रोये, ओर अपनी
जीवन निवछावर कर
दिया, तन मन
धन दे दिया
इस नामदान के
लिए , इस नामदान
के किये मीराबाई
ने रात दिन
रोया,
भल्ला ने पूरा
राजपाठ, धन दौलत
दे दी संगक्त
की सेवा में
लगा दी, इस
नामदान के लिए
गोस्वामी जी आधी
रातों को रोते
हुवे जंगल मे
निकल पड़े, इस
नामदान की लिए
बाबा जयगुरुदेव जी
महाराज ने 7 वर्ष
की उम्र में
नंगे पैर घर
से नकल पड़े,
जंगल,पहाड़,चर्च,गुरुद्वारा,मौलवी,मंदिर,मस्जिद,तीर्थ,सब
घूमे ओर रात
रात भर रोये
ओर तब जाके
गुरु मिले और
नामदान मिला , ओर बाबा
जयगुरुदेव जी ने
हमे मुफ्त में
करोडो लोगो को
एक साथ बैठा
कर दे दिया
सोचो उस मालिक
की हम पर
कितनी दया है,
हमें मालिक
ने कहा आप
घर पर जाकर
दिन ओर रात
को 2 समय एक
एक घंटा भजन
करो उस मालिक
को पा लो
बस यही सबसे
पहला आदेश है
।
सन 2011 को गुरु
का आदेश :-
मेरा ये
संदेश शाकाहारी प्रचार
भारत के हर
राज्य,जिला,शहर,गाँव गाँव
मे ओर गली
कस्बे ओर हर
घर के दरवाजे
पर मेंरा शाकाहारी
संदेश लोगो को
सुना दो ।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज
का कहना है
शाकाहारी रहना है
।
बच्चा गुरु का
आदेश का पालन
करना ही गुरुभक्ति
है ।
शाकाहारी प्रचार से जीव
को फायदा :-
- शाकाहारी
प्रचार से गुरु
हमसे खुश होते
है
- शाकाहारी
प्रचार से धीरे
धीरे छल, कपट,कामवासना,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार,
कम होते है
।
-शाकाहारी प्रचार से जीव
की भक्ति पकती
है ।
-शाकाहारी प्रचार से जीव
का खिंचाव गुरु
की तरफ होता
है और ऊपर
की तरफ होता
है ।
-शाकाहारी प्रचार से जीव
को गुरु की
हमेशा याद बानी
रहती है उनका
सुमिरन होता रहता
है ।
-शाकाहारी प्रचार से मन
की भाग दौड़
कम होती है
मन अपंग होने
लगता है ।
-शाकाहारी प्रचार से भजन
में मन लगने
लगता है ।
-शाकाहारी प्रचार से प्रचार
से जीव की
आंतरिक क्रिया में बदलाव
आता है और
अंदर से जीव
निर्मल होता है
,अंतकरण साफ होता
है ।
- शाकाहारी
प्रचार से भजन
में एकाग्रता आती
है ।
- शाकाहारी
प्रचार से जीव
में गुरु के
प्रति तड़प,लगन
बढ़ती है ।
- शाकाहारी
प्रचार से जीव
में दीनता आने
लगती है ।
-शाकाहारी प्रचार से गुरु
बहुत दया की
धार चलाते है
।
-शाकाहारी प्रचार से जीव
का खिंचाव भजन
में होता है
-शाकाहारी प्रचार से आंतरिक
पाप के पर्दे
हट ते है
।
शाकाहारी प्रचार से जीव
की दशा गुरु
के चरणों बढ़ती
चली जाती है
।
फिर जीव की
लगन तड़प प्रेम
इश्क़ ऐसा बढ़ता
है कि बहुत
रोता है ओर
फिर आंतरिक चढ़ाई
करता है ।
शाकाहारी प्रचार से गुरु
महाराज आगे उन
पर बहुत दया
करने वाले है
उनका आवागमन छूट
जाएगा , अपने घर
वतन,सतलोक जाने
का रास्ता गुरु
बना रहे है
, जिस दिन गुरु
की दया हुई
उस दिन आँख
खुल जाएगी ।
गुरु महाराज आगे बहुत
बड़ा काम करने
वाले है ।
गुरु का आदेश
भजन ओर शाकाहारी
प्रचार करो ।
आदेश का पालन
ही गुरुभक्ति है
No comments: