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Meditation karte samay



*मेडिटेशन करते समय हमें भगवान से कुछ माँगना नहीं है....!
    'अग्नि' के पास हम खड़े होकर यह नहीं कहते हैं, कि तुम हमें गर्मी दो.. वह तो हमें स्वतः मिलती है.. !
   इसी तरह 'नदी' के किनारे जाकर हम यह नहीं कहेंगे कि नदी तुम हमें ठण्डक दो... ! वह हमें स्वतः मिलती है... !
   आप सिर्फ खड़े रहो, तो आपके रोम-रोम में शीतलता का प्रवाह भर जायेगा.... !
   ठीक इस तरह "ईश्वर" से कुछ माँगने की ज़रूरत नहीं है.....!!!!!!
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प्रभु की मौज हर किसी को नसीब नहीं होती
जिन्दगी हर किसी की खुश नसीब नहीं होती
जो प्रेमी रहते है मेरे सतगुरु जी के चरणों मे
जिन्दगी उनकी कभी भी बदनसीब नहीं होती
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अपने मन को हमेशा सिमरन में लगाए रखो। क्या इसमें कुछ खर्च होता है...?
    हर समय "नाम" का सिमरन करते रहो, जैसे छोटे बच्चे एक, दो, तीन, चार दोहराते रहते हैं...!!!
   "सिमरन" एक बहुत बड़ी ताकत है, सिर्फ सिमरन से ही हमारे अंदर संकल्प शक्ति का विकास हो सकता है..!!
    सिमरन धीरज और दृढ़ता के साथ बिना रुके करते रहना चाहिए। यह लगातार बिना रुके अटूट रूप से निरंतर चलता रहना चाहिए.!!!!
- सरदार बहादुर जगत सिंह जी महाराज-
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.....राधा स्वामी जी.......
 इस संसार मैं कुछ ऐसे लोग है जो रुहानी तौर पर जाग रहे है और असल मै वही जीव मालिक को सही जानते है और कुछ ऐसे लोग है जो संसार के कामों में तो खुब होशियार रहते है परन्तु रुहानी तौर पर सोये रहते है और एक वे होते है जो देखने मै सोये हुए रहते है लेकिन अन्दर से परमात्मा से मिले हुए होते है एक ऐसे भी होते है जो बाहर से जागते है लेकिन अन्दर रुहानी दौलत से खाली होते है और ऐसे भी लोग होते है जो उल्लु की तरह साँस को उलटा कर जाप करते है वे परमात्मा की तरफ से उतने ही अन्धे है जितना उल्लु सुरज की तरफ से होता है इसलिये संत कहते है की मैं कुरबान जाता हुँ उन जीवों पर जो अपने अंतर मै सच्चे प्रेम की कमाई में लगे हुए है.......

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