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maya ka jahar




चश्में का फ्रेम चाहे प्लास्टिक की हो , फाइबर की हो, चांदी की या सोने की। महत्व तो उसमें लगे काँच का है , जिससे आपको देखना है।उस पर अगर धूल जमी हुई है तो आपको कुछ भी दिखाई नहीं देगा। इसी प्रकार आपके कपड़े
चाहे जितने बड़े ब्राण्ड के क्यूँ हो... महत्व तो तन में विराजमान आत्मा का है। अगर वह निर्मल नहीं तो सब व्यर्थ है। अगर परमात्मा चाहिए तो सर्वप्रथम अपनी आत्मा को संवारें, अच्छे विचारों से अच्छे संस्कारों से दिव्य संगीत से।
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चौदह लोकों में, जहां तक सूरज चंद्रमा की रोशनी है, माया का जहर ही जहर है..!!!!!!
   जो 'शब्द' का अभ्यास करके परदा खोल ले, वह इस जहर से बच सकता है, नहीं तो दुनिया खाली आयी और खाली ही चली गयी...!!!!!!!

जयगुरुदेव

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