vishvaas
विश्वास
एक आदमी जब भी दफ्तर
से वापस आता, तो कुत्ते के प्यारे से पिल्ले रोज उसके पास आकर उसे घेर लेते थे क्योंकि
वो रोज उन्हें बिस्कुट देता था।
कभी 4 कभी 5 कभी 6
पिल्ले रोज आते और वो रोज उन्हें पारलें बिस्कुट या ब्रेड खिलता था।
एक रात जब वो दफ़्तर
से वापस आया तो पिल्लों ने उसे घेर लिया लेकिन उसने देखा कि घर मे बिस्कुट ओर ब्रेड
दोनो खत्म हो गए है।
रात भी काफी हो गई
थी, इस वक़्त दुकान का खुला होना भी मुश्किल था, सभी पिल्ले बिस्किट्स का इंतज़ार करने
लगे।
उसने सोचा कोई बात
नही कल खिला दूंगा, ओर ये सोचकर उसने घर का दरवाजा बंद कर लिया, पिल्ले अभी भी बाहर
उसका इंतजार कर रहे थे। ये देखकर उसका मन विचलित हो गया, तभी उसे याद आया की घर मे
मेहमान आये थे, जिनके लिए वो काजू बादाम वाले बिस्किट लाया था।
उसने फटाफट डब्बा खोला
तो उसमें सिर्फ 7-8 बिस्किट्स थे,
उसके मन मे खयाल आया
कि इतने से तो कुछ नही होगा, एक का भी पेट नही भरेगा, पर सोचा कि चलो सब को एक एक दे
दूंगा, तो ये चले जायेंगे।
उन बिस्किट को लेकर
जब वो बाहर आया तो देखा कि सारे पिल्ले जा चुके थे, सिर्फ एक पिल्ला उसके इंतज़ार में
अभी भी इस विश्वास के साथ बैठा था कि कुछ तो जरूर मिलेगा।
उसे बड़ा आस्चर्य हुआ।
उसने वो सारे बिस्किट
उस एक पिल्ले के सामने डाल दिये।
वो पिल्ला बड़ी खुशी
के साथ वो सब बिस्किट खा गया और फिर चला गया।
बाद में उस आदमी ने
सोचा कि हम सत्संगियों के साथ भी तो यही होता है, जब तक सतगुरु हमे देता रहता है, तब
तक हम खुश रहते है उसकी भक्ति करते है उसके फल का इंतज़ार करते है, लेकिन सतगुरु को
जरा सी देर हुई नही की हम उसकी भक्ति पर संदेह करने लगते है, दूसरी तरफ जो उसपर विश्वास
बनाये रखता है, उसे उसके विश्वास से ज्यादा मिलता है।
दोस्तों, इसलिये अपने
सतगुरु पर विश्वास बनाये रखे, अपने विश्वास को किसी भी परिस्थिति में डिगने ना दे,
अगर देर हो रही है इसका मतलब है कि सतगुरु आपके लिए कुछ अच्छा करने में लगे हैं।
जयगुरुदेव
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गारंटी किसकी ?
हमारी अपनी ही
साँसे कब हमारा
साथ छोड़ दें
-----कोई भरोसा नही, गारंटी
नहीं !! भोजन का
ग्रास भी कई
बार हाथ में
ही रह जाता
है या मुँह
के अंदर ही
रह जाता है
और प्राण- पंखेरू
उड़ जाते हैं!
एक पैर गाड़ी
के अंदर होता
है और दूसरा
बाहर ही रह
गया ,इतने में
ही जिंदगी साथ
छोड़ जाती है
!!
जिस उद्देश्य के लिए
परमात्मा ने हमें
यह मनुष्य चोला
बख्शा है , क्यों
न हर सांस
उस उद्देश्य को
ध्यान में रख
कर अधिक से
अधिक समय परमात्मा
के भजन-सिमरण
में ही लगाएं
!!
सतगुरु आयो शरण
तुम्हारी!
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